करवाचौथ पूजा एक पवित्र हिंदू अनुष्ठान है जिसमें विवाहित महिलाएं सूर्योदय से चंद्रदर्शन तक अपने पति की लंबी आयु, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए निर्जल व्रत रखती हैं। चंद्रमा देखने के बाद पूजा के साथ उपवास खोलती हैं।
यह त्योहार कार्तिक मास की पूर्णिमा के चार दिन बाद मनाया जाता है (अक्टूबर-नवंबर)।
हमारे अनुभवी पंडित शुद्ध अनुष्ठान के साथ करवाचौथ पूजा कराते हैं, जो आशीर्वाद और आध्यात्मिक संतोष सुनिश्चित करते हैं।
करवाचौथ व्रत क्या है?
यह व्रत विवाहित हिंदू महिलाओं द्वारा पति की लंबी आयु और समृद्धि के लिए सूर्योदय से चंद्र दर्शन तक बिना भोजन या जल ग्रहण किए रखा जाता है।
करवाचौथ पर व्रत कैसे खोला जाता है?
छलनी से चंद्रमा देखने के बाद चंद्रमा को जल अर्पित किया जाता है, फिर पति पत्नी को पहला जल और भोजन देते हैं, जिससे व्रत खुलता है।
क्या करवाचौथ घर पर मनाया जा सकता है?
हाँ, इसे पारंपरिक रूप से घर पर परिवार और समुदाय के बीच मनाया जाता है।
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करवा चौथ भारत में विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसमें पति की लंबी उम्र और सुखमय जीवन के लिए उपवास और प्रार्थना की जाती है। इस दिन महिलाएँ पारंपरिक वेशभूषा पहनती हैं, मेंहदी लगाती हैं, और विशेष पूजा-अर्चना करती हैं।पूजा में शिव-पार्वती की आराधना, मंत्रोच्चारण, भजन-कीर्तन, उपहारों का आदान-प्रदान और आरती शामिल होता है। महिलाएँ रात को चाँद निकलने के बाद अपने पति के हाथ से जल ग्रहण करके व्रत तोड़ती हैं।करवा चौथ पूजा पति-पत्नी के प्रेम और विश्वास का पर्व है, जो परिवार और रिश्तों को मजबूत बनाने का सुंदर अवसर प्रदान करता है।
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